July 2, 2013

पुकार

आज िदल िफर घबरा उठा
खोजने लगा वही चेहरे
जो एक याद बन चुके थे
जो िज़दगी छोड़ चुके थे ।

सब छोड़ के लौटना तो चाहा
लेिकन िफर याद आया िक
बहुत आगे आ चुके है हम
उनसे दूर जा चुके है हम ।

आज न है वह शीतल स्पर्श
न रही वह मीठी टकरार।
रह गई बस यादें कई
और यह नम आँखे ।

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